7. धनाजी को पंथपरवर्तक मानना कितना जरूरी? इतने दिन धनाजी के बिना हमारा समाज चल रहा था तो अब क्यों नही? अब इसकी क्या आवश्यकता है? इतिहास के बारे में जानना इतना क्यों जरूरी है?
आज इतने बड़े सम्प्रदाय के बावजूद एक भी इसकी केन्द्रीय संस्था नही है जो पूरे समाज को दिशा दे सके व राष्ट्रीय स्तर पर अपने समाज का प्रतिनिधित्व कर सके। आज से 40~50 साल पहले तक क्षेत्रीय स्तर पर महंत मंडल हुआ करते थे लेकिन धीरे-धीरे उनके निष्क्रिय होने के बाद अब केंद्रीय संस्था का होना नितांत आवश्यक है। केंद्रीय संस्था के साथ ही सबसे पहला सवाल यह आता है कि हमारा इतिहास क्या है, हम कौन है, हमारी उत्पत्ति कँहा से है। बाकी जितने भी वैष्णव संप्रदाय है उनका अपना इतिहास है लेकिन हमारे समाज के इतिहास के बारे में छान-बीन करने की कोई भी सकारात्मक पहल नही हुई है।
जिस समाज का इतिहास नही हो उसका भविष्य भी अंधकारमय होता है। यदि हम हरियाणा-पंजाब के धन्नावंशियो की बात करे तो उनमें से काफी लोग आजकल सर्वे स्वामी समाज मे रिश्ते करने लग गए हैं एवम धन्नावंशी समाज के बारे में जानकारी के अभाव में ही यह सब हो रहा है। यदि मैं यह कहुँ तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नही होगी कि बिना धन्नावंशी समाज के इतिहास के आनेवाले कुछ वर्षों में यह सर्व स्वामी समाज या ब्राह्मण समाज मे कंही लुप्त हो जाएगा व धीरे-धीरे धन्नावंशी समाज का नाम ही नही रहेगा। क्या हम चाहेगे की हमारे इतने अच्छे और इतने पुराने सम्प्रदाय की यह स्थिति हो?